जीएसटी से जुड़े लंबित मामलों को जल्द से जल्द निपटाने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला ले लिया है। वित्त मंत्रालय देश के 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 31 जीएसटी अपीलेंट अथॉरिटी बनाने जा रही है। इसके लिए नोटिफिकेशन भी निकाल दिया गया है। इस फैसले से उन लोगों को काफी सुविधा होगी, जिनके मामले में कई-कई महीनों से लोकल अदालतों में पेंडिंग पड़े हुए हैं। साथ ही लोकल अदालतों और हाई कोर्ट के साथ सुप्रीम कोर्ट को भी काफी राहत मिलेगी। ऐसे केसों का बोझ कम होगा।
मौजूदा समय में टैक्स अधिकारियों के फैसले से असंतुष्ट टैक्सपेयर्स को संबंधित हाई कोर्ट का रुख करना पड़ता है। मामले निपटने में लंबा समय लगता है क्योंकि हाईकोर्ट पहले से ही लंबित मामलों के बोझ से दबे हुए हैं और उनके पास जीएसटी मामलों से निपटने के लिए कोई स्पेशल पीठ भी नहीं है। नोटिफिकेशन के अनुसार, गुजरात तथा केंद्र शासित प्रदेशों दादरा व नगर हवेली और दमन व दीव में जीएसटीएटी की दो पीठें होंगी, जबकि गोवा और महाराष्ट्र में कुल मिलाकर तीन पीठें स्थापित की जाएंगी। कर्नाटक और राजस्थान में दो-दो पीठ, जबकि उत्तर प्रदेश में तीन पीठ होंगी।
पश्चिम बंगाल, सिक्किम तथा अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, तमिलनाडु, पुडुचेरी में कुल मिलाकर दो-दो जीएसटीएटी पीठ होंगी, जबकि केरल तथा लक्षद्वीप में एक पीठ होगी। सात पूर्वोत्तर राज्यों अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा में एक पीठ होगी। अन्य सभी राज्यों में जीएसटीएटी की एक पीठ होगी।
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि जीएसटी अपीलेट अथॉरिटी टैक्स मामलों को सुलझाने के लिए आवश्यक हैं, क्योंकि यह टैक्स विवादों के निपटान के लिए एक निष्पक्ष, विशेषज्ञ तथा कुशल मंच प्रदान करते हैं। पहले चरण में सरकार ने 31 बेंच नोटिफाई की हैं। मोहन ने कहा कि अब, न्यायाधिकरणों के लिए उपयुक्त स्थानों की पहचान करने, योग्य सदस्यों की नियुक्ति करने और आवश्यक बुनियादी ढांचे और संसाधन उपलब्ध कराने के दूसरे चरण का काम शुरू किया जाएगा। इससे सिर्फ टैक्स डिपार्टमेंट को ही फायदा नहीं होगा, बल्कि लोगों को भी काफी बेनिफिट होगा।