29 Mar 2024, 17:51:16 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
news » National

शरीयत कानून में महिलाओं को संपत्ति में कम अधिकार मिलने का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, नोटिस जारी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Mar 17 2023 8:27PM | Updated Date: Mar 17 2023 8:27PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

मुस्लिम महिलाओं को पैतृक संपत्ति में पुरुषों की तुलना में आधा हिस्सा देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई है। बुशरा अली नाम की महिला ने केरल हाई कोर्ट से राहत न मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी कर दिया है। याचिका में बताया गया है कि 1981 में बुशरा के पिता की बिना संपत्ति का बंटवारा किए मृत्यु हो गई। उन्होंने केरल के कोझिकोड की अदालत में पारिवारिक बंटवारे के लिए आवेदन दिया। मामला चूंकि मुस्लिम धर्म को मानने वालों से जुड़ा था, इसलिए शरीयत एक्ट, 1937 की धारा 2 के तहत इसमें मुस्लिम पर्सनल लॉ के प्रावधान लागू किए गए। इस आधार पर बुशरा को अपने परिवार के पुरुष सदस्यों की तुलना में आधा ही हिस्सा मिला। संपत्ति में हर पुरुष का हिस्सा जहां 14/152 रखा गया, वहीं बुशरा को 7/152 हिस्सा मिला। 

बुशरा ने इसे केरल हाई कोर्ट में चुनौती दी। उन्होंने 2 अलग-अलग याचिकाएं दाखिल कीं। इनमें से एक संपत्ति के बंटवारे पर निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील थी, जबकि दूसरी याचिका एक रिट याचिका है। इस रिट याचिका में शरीयत एक्ट की धारा 2 को चुनौती दी गई है। पहली याचिका यानी बंटवारे से जुड़ी अपील में उन्हें राहत नहीं मिली है। इसके खिलाफ उनकी याचिका सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनी। जस्टिस कृष्ण मुरारी और संजय करोल की बेंच ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद आज नोटिस जारी कर दिया। शरीयत एक्ट की धारा 2 को चुनौती देने वाली बुशरा अली की रिट याचिका अभी भी केरल हाई कोर्ट में लंबित है, लेकिन उनके वकील बीजो मैथ्यू जॉय ने उम्मीद जताई कि जल्द ही वह याचिका सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर हो जाएगी। उन्होंने एबीपी से बात करते हुए बताया कि इसी तरह की एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में 2016 से लंबित है। इसलिए यही लगता है कि कोर्ट उनकी याचिका को भी उसके साथ ही सुनना चाहेगा।

साल 2016 में दाखिल याचिका 'कुरान सुन्नत सोसाइटी' नाम की संस्था की है। उस याचिका में भी यही कहा गया है कि शरीयत एक्ट के तहत पारिवारिक संपत्ति में उत्तराधिकार की जो व्यवस्था है, वह महिलाओं से भेदभाव करती है। यह संविधान के तहत हर नागरिक को मिले मौलिक अधिकारों का हनन है। संविधान समानता और लिंग के आधार पर भेदभाव न किए जाने का अधिकार देता है, सम्मान से जीवन का अधिकार देता है। ऐसे में संपत्ति के बंटवारे के मामले में शरीयत एक्ट में महिलाओं से किए जा रहे भेदभाव को जारी नहीं रहने दिया जा सकता। मामले में केंद्र सरकार, केरल सरकार समेत 14 प्रतिवादियों को सुप्रीम कोर्ट 2016 में ही नोटिस जारी कर चुका है। इस पर 9 मई को आगे सुनवाई की संभावना है। 

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »