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चंद्रयान-3 को लेकर सामने आया बड़ा अपडेट! इसरो चीफ ने बताईं चुनौतियां, कहा- डेटा से संतुष्ट

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 23 2023 5:37PM | Updated Date: Sep 23 2023 5:37PM
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बताया कि उसने चंद्र मिशन चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के साथ संपर्क करने के प्रयास किए हैं, ताकि उनके सक्रिय होने की स्थिति का पता लगाया जा सके, लेकिन अभी तक उनसे कोई सिग्नल नहीं मिला है। लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को इस महीने की शुरुआत में ‘स्लीप मोड’ में डाल दिया था। इस बीच इसरो के चीफ एस सोमनाथ ने चंद्रयान-3 को लेकर बात की।  एस सोमनाथ ने कहा कि वो अभी तक का डेटा से संतुष्ट है। उन्होंने एनडीटीवी से बातचीत करते हुए कहा, ''चंद्रयान-3 में लगाए गए सभी वैज्ञानिक उपकरण से मिले डेटा से टीम संतुष्ट हैं। डेटा का परिक्षण जारी है। इसमें कई साल लग सकते हैं।''

इसरो चीफ ने कहा कि चंद्रयान-2 बहुत बड़ी सीख रही। इससे हमें  ये समझने में मदद मिली कि आखिर क्या गलत हुआ है। उन्होंने बताया कि चंद्रयान-2 से पहले हम ग्राउंड पर पूरी तरह से परिक्षण नहीं कर सकते थे। इसरो ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर कहा कि लैंडर और रोवर से संपर्क करने का प्रयास जारी रहेगा।  चंद्रमा पर सूर्योदय होने के साथ ही इसरो ने लैंडर और रोवर के साथ संचार फिर से स्थापित करके, उन्हें फिर से सक्रिय करने का प्रयास किया है ताकि वे वैज्ञानिक प्रयोग जारी रख सकें।

पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा पर रात्रि की शुरुआत होने से पहले, लैंडर और रोवर दोनों को इस महीने की शुरुआत में  स्लीप मोड) में डाल दिया गया था। हालांकि, उनके रिसीवर चालू रखे गए थे। इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश देसाई ने कहा, ‘‘हमने लैंडर और रोवर दोनों को स्लीप मोड पर डाल दिया था क्योंकि तापमान शून्य से 120-200 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है।

बीस सितंबर से चंद्रमा पर सूर्योदय होगा और हमें उम्मीद है कि 22 सितंबर तक सौर पैनल और अन्य उपकरण पूरी तरह से चार्ज हो जाएंगे, इसलिए हम लैंडर और रोवर दोनों को एक्टिव करने की कोशिश करेंगे।’’ 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरने के बाद, लैंडर और रोवर और पेलोड ने एक के बाद एक प्रयोग किए ताकि उन्हें 14 पृथ्वी दिन (एक चंद्र दिवस) के भीतर पूरा किया जा सके। चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है।

लैंडर और रोवर का कुल वजन 1,752 किलोग्राम है और इन्हें वहां के परिवेश का अध्ययन करने के लिए एक चंद्र दिन की अवधि (लगभग 14 पृथ्वी दिवस) तक संचालित करने के लिए तैयार किया गया था। इसरो को उम्मीद है कि ऐसे में जब चंद्रमा पर फिर से सूर्योदय हो गया है तो उन्हें फिर सक्रिय किया जा सकेगा ताकि वे वहां प्रयोग तथा अध्ययन जारी रख सकें।

 

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