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Astrology

भगवान शिव को कैसे मिला तीसरा नेत्र, महादेव ने बताया था माता पार्वती को इसका रहस्य

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 7 2023 5:40PM | Updated Date: Aug 7 2023 5:40PM
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देवों के देव महादेव को जगत का पालनकर्ता कहा जाता है जिन्हें खुश करना सबसे आसान है। जो भी भक्त भोलेनाथ की सच्चे दिल से आराधना करता है, शिव शंकर उसी के हो जाते हैं। महादेव दयालु हैं, करुणा से भरे हैं। लेकिन भोलनाथ एक और रूप भी है। जब वह रौद्र स्वरूप में आते हैं तो पूरी सृष्टि में हाहाकार मच जाता है। उनके इसी स्वरूप के चलते उन्हें रुद्र के नाम से भी जाना जाता है। जब भी भगवान रौद्र स्वरूप में आते हैं तो उनकी तीसरी आंख खुलती है। लेकिन क्या आपको इस तीसरी आंख का रहस्य पता है? इस श्रावण मास में आइए जानते हैं कि आखिर भोलेनाथ को ये तीसरी आंख कैसे मिली और इसका रहस्य क्या है।

शास्त्रों के मुताबिक जब-जब सृष्टि पर संकट आता है, अत्याचार बढ़ता है, विनाश करीब आता है, तब-तब भोलेनाथ की तीसरी आंख खुलती है। इस दौरान भोलेनाथ अपने रौद्र स्वरूप में होते हैं। भोलेनाथ की ये तीसरी आंख उनके दोनों भौंहो के बीच में ललाट पर नजर आती है, जिसकी वजह से वह त्रिनेत्रधारी और त्रिलोचन के नाम से भी जाने जाते हैं। कहा जाता है कि अपनी तीसरी आंख से महादेव वो सबकुछ देख सकते हैं जो आमतौर पर नहीं देखा जा सकता।

उनके तीनों नेत्रों में भूतकाल, व्रतर्मान और भविष्य समाया हुआ है। मान्यताओं के मुताबिक ये तीन नेत्र स्वगलोक,मृत्युलोक और पाताललोक भी दर्शाते हैं। महादेव की तीसरी आंख एक खास संकेत भी देती है। मान्यता है कि भोलेनाथ जब-जब अपना तीसरा नेत्र खोलते हैं, तब-तब नए युग का सूत्रपात होता है। आइए जानते हैं महादेव को तीसरी आंख कैसे मिली और सबसे पहले उन्होंने इसे कब खोला था।

मान्यताओं के मुताबिक भगवान शिव हिमालय पर्वत पर एक सभा का आयोजन कर रहे थे। तभी अचानक माता पार्वती वहां पहुंची और शिव जी की दोनों आंखों पर हाथ रख दिया। ऐसा करते ही पूरी सृष्टि में अंधेरा छा गया। सूर्य की रोशनी खत्म हो गई और चारों ओर हाहाकार मच गया। जीव जंतू इधर ऊधर भागने लगे। सृष्टि तेजी से विनाश की ओर जा रही थी। धरती के पालनकर्ता भोलेनाथ ये दशा देखी नहीं गई और उनके ललाट पर ज्योतिपुंज प्रकट हुआ।

इस ज्योतिपुंज के खुलते ही पूरी घरती में फिर से रोशनी हो गई और सब कुछ पहले की तरह सामान्य हो गया। इसी ज्योतिपुंज को महादेव की तीसरा नेत्र कहा गया। बाद में माता पार्वती ने जब भोलेनाथ से तीसरे नेत्र का रहस्य पूछा तो उन्होंने बताया कि उनके नेत्र जगत के पालनहार हैं। ऐसे में अगर वह तीसरा नेत्र ना प्रकट करते तो सृष्टि का विनाश तय था।

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