ग्वालियर के भितरवार में एक मुस्लिम परिवार ने गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करते हुए सभी का ध्यान आकर्षित किया है। फिरोज खान नामक एक व्यक्ति ने 3 से 11 अक्टूबर तक अपने घर पर भागवत गीता कथा का आयोजन किया। यह आयोजन उनके लिए विशेष था, क्योंकि उन्होंने न केवल खुद यजमान बनकर कथा का श्रवण किया, बल्कि अपनी पत्नी के साथ मिलकर माला भी जपी।
जब फिरोज खान से पूछा गया कि मुस्लिम होते हुए हिंदू धर्म में इतनी आस्था कैसे विकसित हुई, तो उन्होंने एक दिलचस्प जवाब दिया। उन्होंने बताया कि एक रात उन्हें सपने में हनुमान जी का दर्शन हुआ, जिसके बाद उन्होंने भागवत कथा सुनने का निर्णय लिया। यह अनुभव उनके लिए इतना प्रेरणादायक था कि उन्होंने अपने परिवार के साथ इस कथा का आयोजन करने का फैसला किया। फिरोज का कहना है कि उनके पिता और परिवार के अन्य सदस्य भी सनातन धर्म में गहरी आस्था रखते हैं।
इस साल, फिरोज ने हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार भी कराया, जिसे उन्होंने अपनी अच्छी फसल के लिए भगवान का आशीर्वाद मानते हुए किया। उनका मानना है कि भगवान की कृपा से ही उनकी फसल अच्छी हुई। इस आयोजन में न केवल उनके परिवार के सदस्य शामिल हुए, बल्कि आस-पास के हिंदू समुदाय के लोग भी बड़ी संख्या में आए। कथा के दौरान सुबह और शाम को सैकड़ों लोग कथा सुनने के लिए एकत्र होते थे।
स्थानीय लोगों का कहना है कि फिरोज खान मुस्लिम होते हुए भी हिंदू धर्म की धार्मिक परंपराओं का सम्मान करते हैं। उन्होंने स्थानीय हिंदू समुदाय की मदद से इस कथा का आयोजन किया, जिससे यह साबित होता है कि धार्मिक सीमाएं और पहचान से परे मानवता और एकता की भावना सबसे महत्वपूर्ण है।
फिरोज का यह प्रयास न केवल व्यक्तिगत आस्था का प्रतीक है, बल्कि समाज में एकता और सहिष्णुता को बढ़ावा देने का भी एक महत्वपूर्ण कदम है। यह घटना दर्शाती है कि कैसे विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ आकर सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता का सम्मान कर सकते हैं। ऐसे प्रयासों से न केवल समाज में सद्भावना बढ़ती है, बल्कि विभिन्न धर्मों के बीच आपसी समझ भी मजबूत होती है।