मुंबई। कुमार सानू को इंडस्ट्री में चार दशक हो चुके हैं। इन चालीस सालों से लगातार कुमार सानू एक्टिव रहे हैं। हाल ही में फिल्म 'गन्स ऐंड गुलाब' के लिए उन्होंने 'दो राजी' गाना गाया है। 90 के फ्लेवर पर बने इस गाने को फैंस द्वारा खूब पसंद भी किया जा रहा है। इस इंटरव्यू में कुमार सानू हमसे अपनी जर्नी, करियर के उतार-चढ़ाव, म्यूजिक के बदलते ट्रेंड और नेशनल अवॉर्ड न मिलने का दुख भी शेयर करते हैं। कुमार सानू ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक म्यूजिकल हिट्स दिए हैं। उनकी पॉप्युलैरिटी का आलम यह था कि सभी टॉप प्रोड्यूसर्स व डायरेक्टर अपनी फिल्मों में उनसे गाने गवाना चाहते थे।
उस वक्त यह बात धारणा थी कि कुमार सानू के एक गाने के इस्तेमाल से उनकी फिल्म के हिट होने के चासेंस बढ़ जाते थे। इस पॉप्युलैरिटी पर कुमार सानू कहते हैं, हां, करियर के सफर में 90 के दौर को मैंने बहुत इंजॉय किया है। इसके लिए मैं भगवान का शुक्रगुजार हूं कि इंडस्ट्री ने मुझे इस लायक समझा और इतने मौके दिए थे। हालांकि मेरे पैर हमेशा जमीन पर जुड़े रहे थे। इतनी तसल्ली है कि मैंने जो भी गाना गाया है, वो दिल से गाया है और उनके साथ कभी अन्याय नहीं किया है। नेशनल अवॉर्ड न मिल पाने के मलाल पर कुमार सानू कहते हैं, ये बात तो सही है कि मुझे नेशनल अवॉर्ड देना चाहिए। मुझे पद्मभूषण भी मिलना चाहिए था। मैं कहूं कि मुझे दुख नहीं होता, तो गलत होगा। मुझे बहुत कुछ मिलना चाहिए था, जो मिला नहीं। हालांकि अब फर्क नहीं पड़ता है। ये उनके विचार हैं।
दुख बहुत होता है, जब देखता हूं कि इतना कुछ अचीव करने के बाद भी उसका रिवॉर्ड नहीं मिला है, तो बुरा लगता है। अब तो आदत सी पड़ गई है। दरअसल मैं यह बात समझ चुका हूं कि अगर आपकी पहुंच वहां तक नहीं है और आपको मस्का लगाना नहीं आता है, तो आपको यह अवॉर्ड मिल नहीं सकता है। अब तो दर्शक भी इस बात की समझ आ चुकी है कि अप्रोच तगड़ा होगा, तब ही आपको ऐसे अवॉर्ड्स मिलते रहेंगे। ठीक है, कोई बात नहीं है। मेरी तो इतनी पहुंच है नहीं।। कोई जानकारी नहीं है। इसलिए शायद मिस कर गया। खैर, अगर सरकार को लगेगा, तो जरूर अवॉर्ड देंगे, वर्ना क्या किया जा सकता है। खैर, मुझे किसी से कोई शिकवा नहीं है।