कैंसर बॉडी के किसी भी हिस्से में हो सकता है। कैंसर एक गांठनुमा आकार में डेवलप होती है। बायोप्सी कराने पर उसके कैंसर होने या न होने की पुष्टि होती है। जिस तरह महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर प्रमुख कैंसर में से एक होता है। ऐसे ही प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में होने वाले प्रमुख कैंसर में से एक है। इसके इलाज के लिए प्राइमरी स्टेज पर इसकी जांच बहुत जरूरी है। जांच न होने पर यह जानलेवा हो जाता है। यही जानने की कोशिश करते हैं कि प्रोस्टेट कैंसर की आखिर जांच कब करानी चाहिए।
प्रोस्टेट पुरुषों में एक छोटे अखरोट के आकार की ग्रंथि है। यह सीमन बनाने का काम करती है। प्रोस्टेट कैंसर तब होता है जब ग्रंथि में कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं। यही यह ट्यूमर बन जाता है। प्रोस्टेट पुरुष प्रजनन अंग का एक हिस्सा है। यह मूत्राशय के ठीक नीचे स्थित होता है। जब ट्यूमर बढ़ता है, यह ट्यूब पर दबाता है, जिससे यूरिन में परेशानी संबंधी लक्षण दिखाई देने शुरू हो जाते हैं।
अधिकांश मामलों में प्रोस्टेट कैंसर में शुरुआत में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन जब भी दिखने शुरू होते हैं, वो यूरिन में परेशानी संबंधी ही होते हैं। इसमें कई बार यूरिन आना, अकसर रात को यूरिन करने में परेशानी होना, यूरिन करते समय जोर लगाना, यूरिन का प्रवाह सही न होना शामिल है। डॉक्टरों का कहना है कि इन लक्षणों को बिल्कुल भी इग्नोर नहीं करना चाहिए। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार, लोगों को तब तक प्रोस्टेट स्क्रीनिंग शुरू नहीं करनी चाहिए। जबतक डॉक्टर से सलाह ने ली जाए। लोगों को स्क्रीनिंग के बारे में चर्चा करनी चाहिए। 45 वर्ष से अधिक उम्र होने पर प्रोस्टेट कैंसर होने का खतरा अधिक रहता है। इस दौरान रूटीन स्क्रीनिंग जरूर करानी चाहिए।