खंडवा। इंसान और जानवरों के रिश्ते कितने प्रगाढ़ होते हैं कि एक बुजुर्ग महिला अपना घर बाढ़ से घिर जाने के बावजूद घर से निकलने को महज इसलिए तैयार नहीं थी कि उस झोपड़े में उसका पालतू कुत्ता भी था। यह भावुक कर देने वाला मामला मध्य प्रदेश के खंडवा जिला स्थित ओंकारेश्वर का है। एक वीडियो इस पूरे वाकए की मर्मस्पर्शी कहानी खुद बयां कर देता है। नर्मदा की बाढ़ से घिरी महिला की जब जान पर बन आई तब उसे पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद जबरदस्ती निकाला, लेकिन उसे चैन तब आया जब उसके पालतू कुत्ते को भी रेस्क्यू किया गया।
ओंकारेश्वर में बांध का पानी छोड़े जाने के बाद नर्मदा अपना रौद्र रूप दिखाने लगी है। जब हालात ज्यादा बिगड़ने लगे, लोगों के घरों में पानी घुसने लगा तो स्थानीय प्रशासन ने लोगों को निचली बस्तियों में घर खाली करने को आगाह किया। अधिकांश लोग अपना घर बाढ़ के पानी से घिरता देख जरूरी सामान लेकर सुरक्षित स्थानों पर चले गए। लेकिन एक 65 वर्षीय बुजुर्ग महिला सुशीला बाई पति राजाराम अपना घर छोड़ने को तैयार नहीं थी।
आसपड़ोस के लोगों ने पुलिस-प्रशासन को बताया कि इस घर में वृद्धा अपने एक पालतू कुत्ते के साथ रहती है। कुत्ते को वह छोड़कर नहीं जाना चाहती। ऐसे में पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद से वृद्धा को पहले खुद बाहर आने की समझाइश दी। लेकिन वह कोई बात सुनने को तैयार नहीं थी।
इधर, लगातार घर के बाहर बाढ़ का पानी बढ़ता जा रहा था। लहरों के थपेड़े तेज़ हो रहे थे तब पुलिस का भी दम फूलने लगा। उस वृद्धा को फिर जबरदस्ती पकड़कर घर से बाहर निकालकर सुरक्षित किया गया। लेकिन वह तब तक बैचेन दिखी जब तक कि उसका कुत्ता भी रेस्क्यू कर उसके पास नहीं आ गया। बाहर निकलने पर बुजुर्ग महिला जिद पर अड़ गई और कहने लगी कि 'मैं मर जाऊंगी, अगर मेरे पालतू कुत्ते को नहीं निकाला तो।।।' इसके बाद रेस्क्यू टीम ने सावधानीपूर्वक डरे-सहमे कुत्ते को भी सकुशल निकाल लिया।
खंडवा जिले में पिछले चौबीस घंटों में घनघोर बारिश के चलते सभी नदी-नाले उफान पर हैं। ओंकारेश्वर में नर्मदा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है जिसने बहुत तबाही मचाई। खंडवा से इंदौर को जोड़ने वाले नर्मदा पर बने एकमात्र मोरटक्का पुल के 15 फीट ऊपर से पानी बह रहा है जिससे यहां सड़क परिवहन पूरी तरह ठप हो गया है। इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर बांध के सभी गेट खोल दिए गए हैं जिससे नर्मदा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। ओंकारेश्वर में शंकराचार्य की जो प्रतिमा लोकार्पित की जाने वाली है, उसके पहुंच मार्ग की पुलिया भी जलमग्न हो गई है। ओंकारेश्वर आने वाले सभी साधु-संतों को भी अब यहां आने से रोका जा रहा है।
विगत चौबीस घंटों में जिले में 12 इंच से ज्यादा बारिश हो गई है जिससे यहां निचली बस्तियों में बाढ़ सी स्थिति निर्मित हो गई है। सबसे ज्यादा नर्मदा उफान पर है जो खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। नर्मदा पर बने इंदिरा सागर बांध के सभी 20 गेट खोल दिए गए हैं, जिससे 34 हजार 736 क्यूसेक जलराशि प्रवाहित हो रही है। यहां 12 गेट 12 मीटर तक खोले गए हैं जबकि 8 गेट डेढ़ मीटर खोले गए हैं। हंडिया से 20 हजार 560 क्यूसेक जलराशि आ रही है।
ओंकारेश्वर के सभी घाट डूब चुके हैं। यहां ज्योर्तिलिंग मंदिर तक जाने वाले सभी रास्तों से प्रवेश रोक दिया गया है जिससे हजारों श्रद्धालुओं को बिना दर्शन किए निराश लौटना पड़ा। घाट पर बंधी करीब 25 नाव बाढ़ में बह गई हैं। इधर घाट पर लगी 100 ज्यादा छोटी बड़ी गुमटियां भी पानी में डूब गईं और उनमें रखा सारा सामान बह गया। कई परिवारों का इससे रोजगार छिन गया।
ओंकारेश्वर में 18 सितंबर को ओंकार पर्वत पर आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची जिस भव्य प्रतिमा का लोकार्पण किया जाना था, उस कार्यक्रम पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इस पहाड़ी पर जाने के लिए जो मार्ग बना है, वही जलमग्न हो गया है जिससे यहां से संपर्क ही टूट गया है। इस समारोह में शामिल होने के लिए देश भर से बड़े साधू संतों को आमंत्रित किया गया था, उन्हें भी अब रोका जा रहा है। इस आयोजन को लेकर प्रशासन अभी कुछ कहने की स्थिति में ही नहीं है।