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भारत-यूरोप को जोड़ने वाले प्रोजेक्ट में नहीं मिली जगह, अब तिलमिलाए तुर्की ने उठाया ये कदम

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 18 2023 5:57PM | Updated Date: Sep 18 2023 5:57PM
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नई दिल्ली। इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर (IMEEC) का विरोध कर रहा तुर्की अब इसका विकल्प तलाशने के लिए कई देशों के साथ बातचीत कर रहा है। फाइनेंशियल टाइम्स ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसके मुताबित, राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन व्यापार मार्ग के रूप में तुर्की की भूमिका मजबूत करने के लिए IMEEC की काट ढूंढ रहे हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, तुर्की, जिस विकल्प पर बातचीत कर रहा है, उसे 'इराक डेवलपमेंट रोड' कहा जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के लिए तुर्की इराक, कतर और संयुक्त अरब अमीरात के साथ गंभीर बातचीत कर रहा है। इस प्रोजेक्ट के जरिए इराक में ग्रैंड फॉ बंदरगाह से तुर्की तक सामान जाएगा। इस प्रोजेक्ट के लिए 17 अरब डॉलर प्रस्तावित है। प्रोजेक्ट के जरिए तुर्की और इराक को 1,200 किलोमीटर हाई-स्पीड रेल से जोड़ा जाएगा। रेल नेटवर्क से साथ ही सड़कों का जाल भी बिछाया जाएगा। कहा जा रहा है कि इराक डेवलपमेंट रोड पर पहला चरण 2028 में पूरा हो सकता है।

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर पर देशों के बीच नई दिल्ली में 9-10 सितबंर के बीच आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान सहमति बनी थी। यह कॉरिडोर भारत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन, इजरायल, ग्रीस और यूरोप को एक साथ व्यापारिक लाभ के लिए जोड़ेगा। इसके जरिए संबंधित देशों को बंदरगाहों, बिजली और डेटा नेटवर्क और हाइड्रोजन पाइपलाइनों के जरिए जोड़ा जाएगा।

अमेरिका और यूरोपीय संघ ने भी जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान IMEEC की सराहना की क्योंकि इस मार्ग को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का तोड़ माना जा रहा है। अमेरिका और यूरोपीय देशों का मानना है कि इस प्रोजेक्ट से चीन का बढ़ता प्रभाव कम होगा। इस कॉरिडोर में तुर्की को शामिल नहीं किया गया है। कॉरिडोर से तुर्की को बायपास करने पर तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि तुर्की के बिना कोई कॉरिडोर नहीं हो सकता है। जी20 के बाद एर्दोगन ने कहा था, 'तुर्की के बिना कोई कॉरिडोर नहीं हो सकता... पूर्व से पश्चिम तक व्यापार के लिए सबसे बेहतर मार्ग तुर्की से होकर गुजरना चाहिए।'

तुर्की आम तौर पर चीन की बेल्ट एंड रोड पहल का समर्थक रहा है, लेकिन इस प्रोजेक्ट में उसकी भूमिका सीमित रही है। कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के एक अध्ययन के मुताबिक, चीन ने बेल्ट एंड रोड के जरिए तुर्की में लगभग 4 अरब डॉलर का निवेश किया, जो BRI के कुल निवेश का सिर्फ 1.3% है। 

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