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भूकंप के बाद 36 घंटे में 109 आफ्टरशॉक, मलबों का ढेर बने तुर्की और सीरिया के शहर, अब ये नया खतरा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 7 2023 12:27PM | Updated Date: Feb 7 2023 12:27PM
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इस्तांबुल। तुर्की और सीरिया में सोमवार को आए 7.8 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप के बाद 36 घंटे में 100 से ज्यादा आफ्टरशॉक आए। इनमें से तीन की तीव्रता तो 6 से 7.5 तक थी। तुर्की और सीरिया में आए इन शक्तिशाली भूकंपों ने शहरों को मलबों में तब्दील कर दिया है। भूकंप प्रभावित क्षेत्रों से आ रहे वीडियों में हर तरफ मलबे में तब्दील इमारतें, लाशों के ढेर और तड़पते लोग नजर आ रहे हैं। तुर्की और सीरिया में अब तक भूकंप से 4300 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। तुर्की में 5600 से ज्यादा इमारतें जमींदोज हो गईं। ऐसी ही तबाही सीरिया में भी देखने को मिली। तुर्की और सीरिया में रेस्क्यू टीमें मलबों में दबी जिंदगियों को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रही हैं, लेकिन ठंड, बारिश और बर्फबारी ने इन टीमों की चुनौतियों को और बढ़ा दिया है। तुर्की के कई इलाकों में स्नो स्टोर्म की भी आशंका जताई जा रही है। 

तुर्की में सोमवार सुबह 04:17 बजे 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था। भूकंप का केंद्र गाजियांटेप के पास था। यह सीरिया बॉर्डर से 90 किमी दूर स्थित है। ऐसे में सीरिया के कई शहरों में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए। यह तुर्की में 100 साल में सबसे तीव्रता वाला भूकंप बताया जा रहा है। तुर्की में 7.8 तीव्रता के भूकंप के बाद अब तक करीब 109 ऑफ्टरशॉक आए। भूकंप के 9 घंटे बाद आए आफ्टरशॉक की तीव्रता को 7.5 थी। दुनिया भर में आए भूकंपों के सांख्यिकीय विश्लेषण के आधार पर तुर्की में पहले भूकंप के बाद सिर्फ 6.8 तीव्रता तक के आफ्टरशॉक आने की आशंका थी। आम तौर पर सभी बड़े भूकंप के बाद कई झटके महसूस किए जाते हैं। लेकिन तुर्की में जो ऑफ्टरशॉक्स आए, उनमें कुछ की तीव्रता काफी अधिक थी। यहां तक कि एक आफ्टरशॉक की तीव्रता तो 7.5 थी, यानी पहले भूकंप के लगभग बराबर। हालांकि, यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे के भूकंप वैज्ञानिक सुसान हफ का कहना है कि इसमें चौंकने वाली बात नहीं है। कई बार आफ्टरशॉक मूल भूकंप से भी ज्यादा तीव्रता के आते हैं। 

तुर्की और सीरिया के कई शहर भूकंप की चपेट में आए। भूकंप के कंपन इतनी तेज थे कि इमारतें भरभराकर ताश के पत्तों की तरह ढह गईं। तुर्की और सीरिया में अब तक 5600 इमारतों के गिरने की खबर है। भूकंप सुबह 4 बजे आया, उस वक्त ज्यादातर लोग अपने घरों पर सो रहे थे। ऐसे में जब भूकंप आया और इमारतें गिरीं, उन्हें जान बचाने का कोई मौका ही नहीं मिला। पलभर में इमारतें ढह गईं और घरों पर सोते लोग मलबे में दब गए। तुर्की और सीरिया में रेस्क्यू अभियान जोरों पर है। भारत ने तुर्की में अपनी रेस्क्यू टीम भेजी है। उधर, अमेरिका समेत नाटो के सभी 40 देश भी तुर्की की मदद के लिए आगे आए हैं। रेस्क्यू टीमें मलबों में जिंदगियों की तलाश में जुटी हैं। हालांकि, खराब मौसम और ठंड के चलते रेस्क्यू में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। 

तुर्की के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि मौसम और आपदा का दायरा रेस्क्यू टीमों के लिए चुनौतियां पैदा कर रही हैं। खराब मौसम के चलते रेस्क्यू टीम के हेलिकॉप्टर भी उड़ान नहीं भर पा रहे हैं। इतना ही नहीं हाल ही में तुर्की और सीरिया के कई इलाकों में भारी बर्फबारी हुई है। इसके चलते तापमान में भी गिरावट आई है। अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, सर्दी के मौसम ने रेस्क्यू टीमों के लिए परिस्थितियों को काफी कठिन कर दिया है। हर तरफ सिर्फ बर्फ और बारिश नजर आ रही है। तुर्की में ठंड काफी बढ़ गई है, ऐसे में रेस्क्यू वर्कर्स को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। तुर्की प्रशासन ने लोगों से सड़कों को खाली रखने की अपील की है, ताकि रेस्क्यू टीमें आसानी से भूकंप प्रभावित इलाकों में पहुंच सकें। तुर्की डिजास्टर एंड इमरजेंसी मैनेजमेंट एजेंसी ने कहा कि जरूरी न हो तो सड़कों पर न निकलें। जिससे इमरजेंसी वाहनों को भूकंप प्रभावित इलाकों में पहुंचने में दिक्कत न हो। इतना ही नहीं भूकंप प्रभावित इलाके में 300,000 लाख कंबल, 24,712  बेड, 19,722 टेंट भेजे गए हैं। 

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