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जापान के चंद्र मिशन को फिर लगा झटका, दूसरी बार टली SLIM की लॉन्चिंग

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 28 2023 2:08PM | Updated Date: Aug 28 2023 2:08PM
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भारत के चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के बाद से ही कई देश चंद्रमा पर अपने मिशन भेजने की कोशिश कर रहे हैं। चंद्रयान-3 के बार रूस ने लूना-25 को लॉन्च किया था लेकिन वह चांद की सतह पर उतरने से दो दिन पहले ही क्रैश हो गया। इसी बीच जापान ने भी अपने चंद्र मिशन को लॉन्च करने की कोशिश की, लेकिन उसे दो बार झटका लगा। दरअसल, जापान को आज अपना पहला मून मिशन लॉन्च करना था, लेकिन जापान ने ऐन मौके पर इसकी लॉन्चिंग को टाल दिया।

इससे पहले कल यानी 27 अगस्त को भी जापान ने अपने चंद्र मिशन को लॉन्च करने की कोशिश की लेकिन तब भी इसकी लैंडिंग नहीं हो पाई और इसे टालना पड़ा था। ऑपरेटर मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज (MHI) ने कहा कि तेज हवाओं के चलते 30 मिनट पहले लॉन्चिंग को टालना पड़ा। बता दें कि जापान के फ्लैगशिप लॉन्चिंग व्हीकल, H-IIA रॉकेट की लॉन्च सफलता दर 98 फीसदी है।

एमएचआई की प्रक्षेपण इकाई के प्रमुख तात्सुरु तोकुनागा ने कहा कि, "उच्च ऊंचाई वाली हवाओं ने प्रक्षेपण के लिए हमारी कोशिश को प्रभावित किया।" उन्होंने कहा, लॉन्चिंग की नई तारीख तय नहीं की गई है, लेकिन दोबारा ईंधन भरने जैसी आवश्यक प्रक्रियाओं के चलते ये गुरुवार से पहले नहीं होगी। वहीं एमएचआई और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने कहा है कि प्रक्षेपण 15 सितंबर तक हो सकता है। बता दें कि इस रॉकेट को दक्षिणी जापान में JAXA के तनेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाना था; खराब मौसम के चलते इसे पिछले सप्ताह से दो बार स्थगित किया जा चुका है।

यह जापान द्वारा लॉन्च किया गया 47वां एच-आईआईए होगा। H-IIA लॉन्च व्हीकल JAXA के स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून (SLIM) को ले जा रहा है, जो चंद्रमा पर उतरने वाला जापान का पहला अंतरिक्ष यान होगा। टोक्यो स्थित स्टार्टअप आईस्पेस का हकुतो-आर मिशन 1 लैंडर (Hakuto-R Mission 1) अप्रैल में चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

अगर जापान आज अपने चंद्र मिशन की लॉन्चिंग कर लेता तो यह अगले साल जनवरी-फरवरी में चांद की सतह पर लैंड करता। बता दें कि जापान भी अपने पहले मून मिशन को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भेज रहा है। बता दें कि JAXA और MHI द्वारा संयुक्त रूप से विकसित H-IIA लॉन्च व्हीकल, जापान का प्रमुख अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान रहा है, जिसने 2001 से 46 प्रयासों में 45 सफल प्रक्षेपण किए हैं। हालांकि, JAXA का नया मध्यम-लिफ्ट H3 रॉकेट मार्च में अपनी शुरुआत में विफल हो गया था। इसके बाद एजेंसी ने इसे स्थगित कर दिया था। इससे पहले जापान साल 2020 के अंत कर चंद्रमा की सतह पर इंसान को भेजने की योजना पर काम कर रहा था, लेकिन जापान का ये सपना पूरा नहीं हो पाया।

बता दें कि जापान का स्‍मार्ट लैंडर फॉर इनवेस्टिगेटिंग मून यानी SLIM अंतरिक्षयान भी चंद्रयान-3 की तरह दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। जिसे एक मून स्‍नाइपर के तौर जाना जा रहा है इसकी सटीकता की वजह से इसे स्‍नाइपर भी कहा जा रहा है। जापान के स्लिम का मकसद पिनप्‍वाइंट लैंडिंग का है यानी चंद्रमा की सतह पर पारंपरिक लैंडिंग के तरीकों को बदलना। जापान के इस चंद्र मिशन का मकसद चंद्रमा जैसे गुरुत्वाकर्षण खिंचाव वाले खगोलीय पिंडों पर जहां मर्जी वहां पर लैंडिंग करने का है। गौरतलब है कि चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण, पृथ्वी के मुकाबले कम है जिसके चलते चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यान को उतारना काफी चुनौतीपूर्ण काम होता है।

जापान के स्लिम का वजन 200 किलोग्राम है। जिसमें एक लेजर रेंज फाइंडर और विजन बेस्‍ड नेविगेशन के लिए एक नेविगेशन कैमरा लगाया गया है। इन उपकरण के द्वारा लैंडिंग के दौरान इसकी स्थिति को मापने और सही करने में मदद करना है। चंद्रमा पर लैंडिंग के बाद इसका मल्टीबैंड स्पेक्ट्रल कैमरा सतह पर मौजूद चट्टानों की संरचना का पता लगाएगा। इसमें लूनर एक्सप्लोरेशन व्हीकल नाम का एक उपकरण लगाया गया है जो अलग से जांच के लिए तैनात होगा। जिसमें ट्रांसफॉर्मेबल लूनर रोबोट भी शामिल है, जिसे SORA-Q कहा जा रहा है। जो हथेली के बराबर अंडे के आकार जैसा है।

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